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✍ शब्दकार©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जब यारों से यारी रखना।
दिल में दुनियादारी रखना।।
खुदगर्ज ज़माना ये सारा,
अपना पलड़ा भारी रखना।
खुद अपनी पहचान न आसां,
रिश्तों की रखवारी रखना।
मुख फ़रेब से ढँके हुए हें ,
दूर सदा बदकारी रखना।
भोले - भाले को सब छलते ,
अपनी तेज कटारी रखना।
लंबा बहुत सफ़र मानव का,
चलने की तैयारी रखना।
फूलों के सँग में खार 'शुभम',
कदमों में फुलवारी रखना।
28.05.2020◆9.15 पूर्वाह्न।
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