रविवार, 31 मई 2020

ग़ज़ल


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✍ शब्दकार©
🌹 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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जब        यारों    से यारी रखना।
दिल   में   दुनियादारी  रखना।।

खुदगर्ज        ज़माना    ये  सारा,
अपना      पलड़ा    भारी रखना।

खुद     अपनी   पहचान न आसां,
रिश्तों         की   रखवारी रखना।

मुख      फ़रेब    से ढँके  हुए हें ,   
दूर           सदा   बदकारी रखना।

भोले   -   भाले   को सब छलते ,
अपनी        तेज  कटारी रखना।

लंबा   बहुत     सफ़र  मानव का,
चलने          की    तैयारी  रखना।

फूलों       के सँग में खार 'शुभम',
कदमों          में  फुलवारी रखना।

28.05.2020◆9.15 पूर्वाह्न।

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