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✍ शब्दकार©
🧡 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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माँ का आँचल सबसे प्यारा।
त्राता शीतल एक सहारा।।
संतति को सुख छाया देता।
भूख प्यास सारी हर लेता।।
खेल - खेलते रोता बालक।
माँ का आँचल ही तब पालक।।
धूल - धूसरित तन में आता।
माँ के आँचल में छुप जाता।।
देखे बिना अंक में लेती।
सने पंक में दुबका देती।।
आँचल से छोटा सिंहासन।
ध्रुव को दिया ईश उच्चासन।।
मातृभूमि , का आँचल न्यारा।
वीर सपूतों को शुभ प्यारा।।
मातृभूमि की लाज बचाते।
कुछ शही द यद्यपि हो जाते।।
मातृभूमि जननी का आँचल।
देशभक्त को प्यारा प्रांजल।।
कायर आँचल में छिप जाते।
वे कामी नारी को भाते।।
माँ - आँचल की लाज बचाए।
'शुभम' वही यौवन कहलाए।
💐 शुभमस्तु !
12.05.2020 ◆ 10.45 पूर्वाह्न।।
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