◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆
✍ शब्दकार ©
🇮🇳 डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆◆●◆◆◆
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।
दाँत वह जितने निपोरे,
दाँत उसके तोड़ दो।।
माँ भारती की लाज-रक्षा,
अब तुम्हारे हाथ है।
देश के रणबाँकुरों को,
हर नागरिक का साथ है।।
वह ईंट बरसाए यहाँ,
तुम गोलियों को छोड़ दो।।
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।।
सन सनन सन ध्वनितअंबर,
बारूद गोले फट पड़े।
जिंदगी हो दाँव पर भी,
पीछे नहीं डग हट पड़े।।
एक सिर वे आज छूलें,
सौ शीश उनके फोड़ दो।
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।।
धन्य है जननी तुम्हारी,
जन्म है जिसने दिया।
दूध जिस माँ का पिया है,
सिर नहीं झुकने दिया।।
वीर पितु के पुत्र हो तुम,
पी ओ के अपना जोड़ दो।
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।।
कर्म तेरा देश रक्षा ,
धर्म भी तेरा यही।
जब प्रसव तेरा हुआ तो ,
खिल उठी थी ये मही।।
दाँत खट्टे दुश्मनों के,
कर धरा की क्रोड़ दो।
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।।
रक्त की होली मनाओ,
शशि भानु के जलते दीये।
टैंक की सुन गड़गड़ाहट ,
काँपते अरि के हिये।
याद जब घर की सताए,
देशार्थ निज रुख मोड़ दो।।
सैनिको ! दौड़ो दहाड़ो,
शत्रु का मुँह मोड़ दो।
💐 शुभमस्तु !
16.05.2020◆12.10 अपराह्न।
⚔️🇮🇳🇮🇳⚔️🇮🇳🇮🇳⚔️🇮🇳🇮🇳
thanks bro
जवाब देंहटाएं