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✍ शब्दकार©
❤️ डॉ. भगवत स्वरूप 'शुभम'
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माँ से हमको है मिली,
हिंदी अपनी शान।
हम इसकी रक्षा करें,
नित्य बढ़ाएँ मान।।1।
मेरा भारत बाग है,
हिंदी खिलते फूल।
हरे पत्रदल बोलियाँ,
जन - जन के अनुकूल।।2।
देवनागरी शाटिका,
पहने हिंदी मात।
हिंदी बोलें औ' लिखें,
दिन से लेकर रात।।3।।
हिंदी पहने शाटिका,
बदल - बदल हर वार।
अनुजा उर्दू पहनती,
कुर्ता सँग सलवार।।4।।
अंग्रेज़ी सौतन बनी,
हिंदी माँ की आज।
शब्द चुराती बहुत से,
इतराती कर नाज।।5।।
हिंदीभाषी देश के ,
कवि लेखक विद्वान।
लेख न की गंगा बहे,
सागर बने महान।।6।।
पूरब से पश्चिम दिशा,
उत्तर दक्षिण देश।
फैले भारत भूमि पर ,
हिंदी माँ के केश।।7।।
हँसना गाना बोलना,
हिंदी में है शान।
रोना सपने देखना ,
पढ़ना -लिखना मान।।8।।
हुई वेदना देह की,
आई माँ की याद।
माँ !माँ!! कह रोया 'शुभम',
गूँजा हिंदी नाद।।9।।
आँगल में रोकर दिखा ,
ओ! काले अंग्रेज।
हिंदी को पिछड़ा कहें,
सो गोरी की सेज।।10।
हिंदी सावन बरसता,
हिंदी फ़ागुन - रंग।
हिंदी है मधुमास नित,
हिंदी सरस शुभंग।।11।
हिंदी दीवाली 'शुभम',
हिंदी होली - रंग।
विजयादशमी क्वार की,
रक्षा - पर्व उमंग।।12।।
हिंदी शादी - ब्याह है,
हिंदी सोहर - गीत।
हिंदी ही बस राह है,
हिंदी मम मनमीत।।13।।
मुख से तुतले बोल भी,
निकले पहली बार।
वह हिंदी भाषा 'शुभम',
तुझको नमन हज़ार।।14।।
माँसी से हमको नहीं,
ऐसा 'शुभम' गुरेज़।
पूज्या है हिंदी सदा,
मधुर भाषिणी तेज।।15।।
💐 शुभमस्तु !
12.05.2020◆10.15पूर्वाह्न।
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