बुधवार, 18 सितंबर 2024

सरिताएँ [ बालगीत ]

 418/2024

           


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सरिताओं    में    जीवन   बहता।

भूखा  -प्यासा  एक   न   रहता।।


हरित  धरा   की    जीवन   रेखा।

गङ्गा    यमुना     हमने     देखा।।

नर -  नारी  तरु  कष्ट  न  सहता।

सरिताओं   में    जीवन   बहता।।


गेहूँ    धान    मटर      की   फसलें।

पौधे  पेड़     मनुज     की    नस्लें।।

पशु खग सबका  हित जग कहता।

सरिताओं     में    जीवन    बहता।।


'शुभम्' न    डालें     मैला   कचरा।

बढ़ता  है  जीवन    को    खतरा।।

जी जाता   है   जो     जन   दहता।

सरिताओं     में   जीवन    बहता।।


शुभमस्तु !

16.09.2024 ◆2.30 आ०मा०

                ★★★

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