बुधवार, 18 सितंबर 2024

जननी-पद शीश नवाएँ [बालगीत]

 403/2024

     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


गुरुवर  प्रथम नित्य  हम ध्याएँ।

निज  जननी- पद शीश  नवाएँ।।


जन्म दिया निज गोद  खिलाया।

आँचल से ढँक  दूध   पिलाया।।

उस माता को बलि -बलि जाएँ ।

गुरुवर  प्रथम नित्य हम ध्याएँ।।


नौ - नौ मास   कोख    में  ढोया।

कष्ट  झेलती   मैं    सुख   सोया।।

कैसे  उसे    भूल     हम  पाएँ।।

गुरुवर  प्रथम नित्य हम  ध्याएँ।।


 गीली   कथरी  में   माँ    सोती।

 मुझे   सहेजा     जैसे     मोती।।

'शुभम्'  भूल  माँ को क्यों  जाएँ।

गुरुवर  प्रथम नित्य   हम ध्याएँ।।


शुभमस्तु !


15.09.2024◆10.30आ०मा०

                    ★★★

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