शनिवार, 28 सितंबर 2024

तोड़ें रखें न पास [ गीत ]

 442/2024

     


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मूर्ति पुरानी

विश्वासों को

तोड़ें , रखें न पास।


ज्ञान बिना हो

मोक्ष - लाभ क्यों 

तत्पर  रहना मीत।

जन्म मृत्यु

के साथ भयों से

हम सब परे  सभीत।।


श्रेयस है

आत्मा का उत्तम

उसका ज्ञान - प्रयास।


जिसको तू

'मैं'  'मैं' कहता है

तुझे न उसका ज्ञान।

नहीं पहुँचतीं

वहाँ इन्द्रियाँ 

और विचार न भान।।


विषयी है वह

कभी ज्ञान का

विषय न होता भास।


इन्द्रिय -ज्ञान

ससीम तुम्हारा

कारण - कार्य प्रधान।

यह संसार

सत्य की छाया

सुख -दुख एक समान।।


'शुभम्' जगत

अभिव्यक्ति ईश की

कुछ यथार्थ का वास।


शुभमस्तु !


26.09.2024●1.00प०मा०

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