सोमवार, 30 सितंबर 2024

देखना ऊँचा सपना [ गीतिका ]

 449/2024

       

पाने   को    कुछ   पड़ता   तपना।

सदा     देखना    ऊँचा     सपना।।


लगे    हुए    सीधा     करने     में,

दुनिया   वाले      उल्लू    अपना।


दृष्टि  अन्य  के   धन   पर   उनकी,

राम -  नाम    की    माला  जपना।


पूछ   नहीं     निर्धन    की    कोई,

धनिकों  के ही   सम्मुख  झुकना।


मेरा  -    मेरा       करते       बीता,

नहीं  जानता   पल   भर  रुकना।


बिना   काम   के     नाम    चाहते,

समाचार      सुर्खी   में     छपना।


जननी -  जनक  न  पूज्य  मानते,

'शुभम्'   न  चाहें    सेवा   करना।


शुभमस्तु !

29.09.2024●10.30 आ०मा०

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