424/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
दिया तेल बत्ती का नाता।
मेरे मन में अतिशय भाता।।
कुम्भकार ने दिया बनाया।
गर्म अवा की आँच तपाया।।
लाल रंग में वह सज जाता।
दिया तेल बत्ती का नाता।।
देता ज्योति दिया कहलाए।
अँधियारे को दूर भगाए।।
प्रति पल एक सबक दे जाता।
दिया तेल बत्ती का नाता।।
'शुभम्' दिया- से हम बन जाएँ।
सारे जग में ज्योति जगाएँ।।
सबको सुखद उजाला भाता।
दिया तेल बत्ती का नाता।।
शुभमस्तु !
1.609.2024◆9.00आ०मा०
★★★
[9:30 am, 16/9/2024] DR BHAGWAT SWAROOP:
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