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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
-1-
राधा - राधा राधिका, आराधें दिन - रात।
कृपा करें वृषभानुजा, बाधाएँ हों मात।।
बाधाएँ हों मात, श्याम का नेह सलौना।
होगा सुखद प्रभात,शयन का विरल बिछौना।।
'शुभम्' मुरलिका टेर,मिटाए तन-मन बाधा।
करें न राधा देर, रटें जब राधा - राधा।।
-2-
राधा ने ज्यों ही सुनी, मधु मुरली की टेर।
निधिवन को दौड़ीं सखी,तनिक न करतीं देर।।
तनिक न करतीं देर, चाँदनी उजली रातें।
करतीं प्रेमालाप, मौन ही होती बातें।।
'शुभम्' गले में हार, महकते मिटती बाधा।
होती लीला रास , नाचतीं ब्रज की राधा।।
-3-
राधा कुंज करील में, विलसति माधव संग।
युगल सुशोभित हो रहे, ज्यों रति और अनंग।।
ज्यों रति और अनंग, सुमन गुहते रतनारे।
गायें करें किलोल, सघन बरगद थे प्यारे।।
'शुभम्' दृश्य यह देख, मिटे तन मन की बाधा।
देवी - देव प्रसन्न, देख मनमोहन राधा।।
-4-
राधा बोलीं श्याम से, करें न मोहन बात।
अधरों पर मुरली धरे, करते हमसे घात।।
करते हमसे घात, चैन हमको कब मिलता!
क्यों न छोड़ दें साथ, हृदय है भारी छिलता।।
'शुभम्' श्याम ने योग,कौन सा ऐसा साधा।
भरते रहते श्वास, व्यथित मन चिंतित राधा।।
-5-
राधा गोपी ग्वाल सब, निकले वन की ओर।
गोचारण करने लगे, घटा घिरी घनघोर।।
घटा घिरी घनघोर, चहकतीं सखियाँ सारी।
रँभा रहीं सब गाय, करें घर की तैयारी।।
'शुभम्' श्याम ने टेर, लगाकर सबको साधा।
भीगी चुनरी पीत, विहँसतीं खिल- खिल राधा।।
-6-
राधा अति बड़भागिनी, मिला श्याम का साथ।
आठ - आठ पटरानियाँ, ठोक रहीं हैं माथ।।
ठोक रही हैं माथ, मुरलिया शोभन हमसे।
कौन हुआ अपराध, मुक्त कब होंगीं गम से।।
'शुभम्' एक की बात, बड़ी हैं कितनी बाधा।
रमाकांत का नेह, कृष्ण की प्यारी राधा।।
शुभमस्तु !
27.09.2024● 3.00आ०मा०
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