शनिवार, 28 सितंबर 2024

शिक्षा का है काम [ गीत ]

 444/2024

             


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


नैतिकता 

तन - मन विकास हित

शिक्षा का है काम।


पठन हेतु

एकाग्र रहें हम

तभी लगेगा ध्यान।

इन्द्रिय संयम

ध्यान सिखाए

करें  ध्यान का मान।।


आदर्शों की

ओर अग्रसर 

करता शिक्षा-धाम।


जब तक जीना

तब तक शिक्षा

अनुभव श्रेष्ठ महान।

समझे जो

कमजोर स्वयं को

बड़ा पाप ये जान।।


जितना ही

संघर्ष बड़ा हो

बड़ी विजय का नाम।


समझे रहो

आप अपने को

व्यक्ति महत्तावान।

नित्य करें

संवाद आप से

शिक्षा का प्रतिमान।।


जीवन का

निर्माण करे जो

मात्र न दे जो दाम।


स्वावलम्ब

होने का देती

शिक्षा सबक सदैव।

हाथ नहीं 

फैला  गैरों से

करे नहीं हा दैव!!


'शुभम्' पचाए

बिना घूमती

उसका अंत विराम।


शुभमस्तु !


26.09.2024●4.45 प०मा०


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