सोमवार, 9 सितंबर 2024

सावन के घन [ गीतिका ]

 391/2024

              


सावन   के  घन   काले - काले।

छाए   नभ  में     बड़े    निराले।।


सभी       मनाएँ       रक्षाबंधन,

घर -  घर  में हों   नए   उजाले।


भगिनी    बाँधे   राखी   कर  में,

रक्षक     भ्राता      भोले -भाले।


श्रवण-  चित्र   पुजते हैं घर -घर,

परम्परा   से        पुजने    वाले।


हरी  भुजरियाँ    बहन  बाँटतीं,

हर्ष  मुदित  मन  पर्व   मना ले।


लातीं   बहन    मिठाई    घृतवर,

सावन  सरसे      कजरी  गा ले।


'शुभम्' झरें   झर- झर -झर  बूँदें,

कलकल  सरिता छल छल नाले।


शुभमस्तु !


09.09.2024●9.15 आ०मा०

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