सोमवार, 9 सितंबर 2024

कैसे होगा असली काम? [ गीत ]

 393/2024

     

    

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


कैसे होगा

असली काम?

            

कभी पर्व

आए त्योहार,

कभी आ गए

रिश्तेदार,

आँख दिखाए

बिजली रोज,

विविध काम की

नित भरमार।


तनिक नहीं

 मुझको आराम

कैसे होगा

असली काम?


हो जाता

कोई बीमार,

खेती में हैं

खरपतवार,

दवा छिड़कना

बहुत जरूर,

वरना हो

क्यों पैदावार?


वर्षा कभी

कभी है घाम।

कैसे होगा

असली काम?


माँग रहे

बच्चे मोबाइल,

पत्नी है

साड़ी से घायल,

पायल माँग

रहे दो पैर,

जीवन हुआ

सूखकर छुआर।


खाँसी ज्वर है

तेज जुकाम,

कैसे होगा

असली काम?


पैसा मिला

बचा क्या एक?

 टर्राता ज्यों

सर में भेक,

भोजन मिले

नित्य भर पेट,

पड़ा शीश पर

भारी भार।


हुआ   मुझे 

आराम हराम,

कैसे होगा

असली काम?


बनता एक

बिगड़ते चार,

जाल काम का

ऐसा  भार,

आता एक

खर्च दस बीस,

तन मन पर

है गहन प्रहार।


यों ही प्रतिदिन

सुबहो-शाम,

कैसे होगा

असली काम?


शुभमस्तु !


09.09.2024●1.45प०मा०

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