बुधवार, 18 सितंबर 2024

सावन के घन [बालगीत]

 408/2024

     

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


सावन  में  घन  झर - झर  बरसे।

हरियाली  से     धरती     सरसे।।


रिमझिम - रिमझिम  झरती बूँदें।

गिरे  आँख पर     आँखें     मूँदें।।

पशु  - पक्षी   नर -  नारी    हरसे।

सावन  में घन झर -  झर बरसे।।


भरते     ताल -   तलैया    सारे।

खेत लबालब    लगते    प्यारे।।

वीरबहूटी      को   हम    तरसे।

सावन में  घन झर-  झर बरसे।।


'शुभम्' करें  टर -टर नर मेढक।

लगा  नयन पर अपने   ऐनक।।

नहीं  निकल पाते हम   घर से।

सावन में  घन झर -झर  बरसे।।


शुभमस्तु !


15.09.2024◆3.00प०मा०

                   ★★★

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