390/2024
समांत : आले
पदांत : अपदांत
मात्राभार :16.
मात्रा पतन :शून्य
सावन के घन काले - काले।
छाए नभ में बड़े निराले।।
सभी मनाएँ रक्षाबंधन।
घर - घर में हों नए उजाले।।
भागिनी बाँधे राखी कर में।
रक्षक भ्राता भोले -भाले।।
श्रवण चित्र पुजते हैं घर -घर।
परम्परा से पुजने वाले।।
हरी भुजरियाँ बहन बाँटतीं।
हर्ष मुदित मन पर्व मना ले।।
लातीं बहन मिठाई घृतवर।
सावन सरसे कजरी गा ले।।
'शुभम्' झरें झर- झर -झर बूँदें।
कलकल सरिता छल छल नाले।।
शुभमस्तु !
09.09.2024●9.15 आ०मा०
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