428/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अद्भुत अनुपम भारत मेरा।
प्रचुर सम्पदा का शुभ घेरा।।
कलरव करतीं यमुना गंगा।
फहराता है सदा तिरंगा।।
देव - देवियाँ करतीं फेरा।
अद्भुत अनुपम भारत मेरा।।
उत्तर दिशि में हिमगिरि प्रहरी।
झीलें हैं शीतल शुभ गहरी।।
हिंद महासागर दखिनेरा।
अद्भुत अनुपम भारत मेरा।।
'शुभम्' सघन फसलें लहरातीं।
वेश अनेक रूप रँग जाती।।
हिंदी से हो नित्य सवेरा।
अद्भुत अनुपम भारत मेरा।।
शुभमस्तु !
16.09.2024◆10.45आ०मा०
★★★
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