437/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कच्ची सड़क
गाँव की गीली
सरपट दौड़ी जाए।
ऐंठे टेढ़े
सींग हिरन के
श्याम वर्ण का गात।
आया निकल
किसी जंगल से
करता हो ज्यों बात।।
देख सामने
वाहन भारी
तनिक नहीं भय खाए।
द्रुम की छाँव
सघन शीतल है
आच्छादित नभ आज।
आतुर बादल
बरसेंगे अब
सजें कृषक के साज।।
दोनों ओर
गैल के भारी
हरी घास ही छाए।
दोनों ओर
सड़क के पौधे
हरे - हरे संतृप्त।
पहने वसन
हरे ही शोभन
मौन खड़े हैं व्यस्त।।
'शुभम्' करे
संकेत हाथ से
हिरन शीघ्र हट पाए।
शुभमस्तु !
24.09.2024●8.45आ०मा०
●●●
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें