406/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
वीणापाणि भारती माता।
ज्ञानदायिनी सब सुख दाता।।
मम रसना में बोल सिखाती।
नव शब्दों का ज्ञान कराती।।
शीश झुकाकर तुमको ध्याता।
वीणापाणि भारती माता।।
श्वेत वसन तुम करतीं धारण।
उर का तम नित करो निवारण।।
वेला के सित सुमन चढ़ाता।
वीणापाणि भारती माता।।
'शुभम्' कमल दल माते साजें।
हंसासन पर सदा विराजें।।
मैं गुणगान तुम्हारा गाता।
वीणापाणि भारती माता।।
शुभमस्तु !
15.09.2024◆12.30प०मा०
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