बुधवार, 18 सितंबर 2024

अलाव जलाएँ [ बालगीत ]

 426/2024

           

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बढ़ती    ठंड    अलाव    जलाएँ।

तापें  आग     हर्ष     हम   पाएँ।।


दादी  माँ  को      शीत     सताए।

ठिठुर  -  ठिठुर कम्बल  में  जाए।।

गरमी  का  कुछ  सृजन   कराएँ।

बढ़ती  ठंड    अलाव     जलाएँ।।


काँप  रहे    हैं    बाबा   थर - थर।

झरती ओस गगन से   झर - झर।।

उनको   भी    तो   अब   गरमाएँ।

बढ़ती  ठंड      अलाव    जलाएँ।।


'शुभम्'  बिलोती  दधि को अम्मा।

जला  दिये   की   पतली   शम्मा।।

उन्हें  देह   पर     शॉल     उढ़ाएँ।

बढ़ती  ठंड    अलाव    जलाएँ।।


शुभमस्तु !

16.09.2024◆9.45 आ०मा०

                    ★★★

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