बुधवार, 18 सितंबर 2024

सड़क [ बालगीत ]

 427/2024

               

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


अपनी  मंजिल  तक  पहुँचाती।

सरके  नहीं  सड़क  कहलातीं।।


दिन - रातों    में   चलते   राही।

यात्रा   करें     सभी   मनचाही।।

वहीं पड़ी  वह    कहीं   न जाती।

सरके  नहीं  सड़क    कहलाती।।


उबड़ -  खाबड़   गर्त    हजारों।

बाइक ट्रक बस   दौड़ें    कारों।।

नहीं  किसी  को   दर्द   बताती।

सरके  नहीं   सड़क  कहलाती।।


'शुभम्'  न   खबर  ले  रहे नेता।

कहता    है  मैं   ही   मैं    देता।।

चलते  तो   नानी  सुधि   आती।

सरके  नहीं  सड़क   कहलाती।।


शुभमस्तु !


16.09.2024◆10.15 आ०मा०

                     ★★★

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