बुधवार, 18 सितंबर 2024

मेघ बरसते [ बालगीत ]

 409/2024

     

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मेघ    बरसते     चलो     नहाएँ।

अधनंगे    हो      धूम     मचाएँ।।


घटा  छा  रही   नभ   में  काली।

निकलें बजा -  बजा हम  ताली।।

दादी  -   बाबा  देख   न   पाएँ।

मेघ     बरसते    चलो   नहाएँ।।


बिजली चमक रही है कड़-कड़।

बादल गरज रहे  हैं   गड़ - गड़।।

दोनों    ही    हमको     डरवाएँ।।

मेघ    बरसते    चलो     नहाएँ।।


'शुभम्' चलें  हम   छत पर  सारे।

नहा   सकेंगे    मिलकर    प्यारे।।

वर्षा -  गीत   नाच    कर    गाएँ।

मेघ  बरसते     चलो     नहाएँ।।


शुभमस्तु !

15.09.2024◆3.30प०मा०

                   ★★★

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