409/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
मेघ बरसते चलो नहाएँ।
अधनंगे हो धूम मचाएँ।।
घटा छा रही नभ में काली।
निकलें बजा - बजा हम ताली।।
दादी - बाबा देख न पाएँ।
मेघ बरसते चलो नहाएँ।।
बिजली चमक रही है कड़-कड़।
बादल गरज रहे हैं गड़ - गड़।।
दोनों ही हमको डरवाएँ।।
मेघ बरसते चलो नहाएँ।।
'शुभम्' चलें हम छत पर सारे।
नहा सकेंगे मिलकर प्यारे।।
वर्षा - गीत नाच कर गाएँ।
मेघ बरसते चलो नहाएँ।।
शुभमस्तु !
15.09.2024◆3.30प०मा०
★★★
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