बुधवार, 18 सितंबर 2024

जननी धरती गगन पिता [बालगीत ]

 404/2024

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


जननी  धरती    गगन   पिता जी।

युगल  मूर्ति  जीवित   ममता की।।


मात -पिता  के   बिना   न  हम हैं।

कोई  नहीं  किसी  से    कम   हैं।।

जग  में   कहीं   नहीं   समता  भी।

युगल  मूर्ति  जीवित    ममता की।।


मात - पिता    के    अहसानों  का।

स्वार्थ   बिना    उनके    दानों का।।

बदला   संतति    नहीं      चुकाती।

युगल  मूर्ति जीवित    ममता की।।


'शुभम्'  नित्य वह  पद - रज पाएँ।

नत ललाट  कर    शीश   झुकाएँ।।

कभी  न संतति    उनसे    छाकी।

युगल  मूर्ति  जीवित  ममता की।।


शुभमस्तु !


15.09.2024●10.45आ०मा०

                    ★★★

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