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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आओ फूलों - से मुस्काएँ।
नव सुगंध से जग महकाएँ।।
फूलों जैसा अपना जीवन।
महकाता है सबको बचपन।।
मात - पिता को शीश झुकाएँ।
आओ फूलों - से मुस्काएँ।।
पेड़ों की ज्यों कोमल डाली।
जैसे चाहा वहीं झुका ली।।
विनत भाव जीवन में लाएँ।
आओ फूलों - से मुस्काएँ।।
'शुभम्' फूल ही फल भी देते।
नहीं किसी से कुछ भी लेते।।
ऐसे हम दानी बन जाएँ।
आओ फूलों - से मुस्काएँ।।
शुभमस्तु!
15.09.2024◆8.30आ०मा०
★★★
[9:28 am, 15/9/2024] DR BHAGWAT SWAROOP:
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