बुधवार, 18 सितंबर 2024

आओ फूलों -से मुस्काएँ [बालगीत ]

 

    400/2024


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


आओ       फूलों -  से    मुस्काएँ।

नव  सुगंध   से   जग    महकाएँ।।


फूलों   जैसा    अपना     जीवन।

महकाता   है   सबको   बचपन।।

मात -  पिता  को  शीश  झुकाएँ।

आओ    फूलों -  से     मुस्काएँ।।


पेड़ों  की  ज्यों   कोमल    डाली।

जैसे  चाहा   वहीं     झुका   ली।।

विनत  भाव  जीवन    में    लाएँ।

आओ   फूलों - से        मुस्काएँ।।


'शुभम्'  फूल  ही   फल  भी देते।

नहीं  किसी  से कुछ    भी  लेते।।

ऐसे   हम      दानी     बन    जाएँ।

आओ     फूलों  - से      मुस्काएँ।।


शुभमस्तु!


15.09.2024◆8.30आ०मा०


                   ★★★

[9:28 am, 15/9/2024] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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