399/2024
©शब्दकार
©डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
आओ मित्रो पेड़ लगाएँ।
धरती माँ के प्राण बचाएँ।।
पेड़ों से ही मानव जीते।
प्राणवायु साँसों में पीते।।
शुद्ध वायु से जग सरसाएँ।
आओ मित्रो पेड़ लगाएँ।।
पेड़ों से ही बादल छाते।
उमड़ -घुमड़ पानी बरसाते।।
आम नीम शीशम उपजाएँ।
आओ मित्रो पेड़ लगाएँ।।
'शुभम्' पेड़ हैं पूज्य हमारे।
जन जीवन के सदा सहारे।।
जीवन की बगिया महकाएँ।
आओ मित्रो पेड़ लगाएँ।।
शुभमस्तु !
15.09.2024◆8.00आ०मा
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें