बुधवार, 18 सितंबर 2024

मेहो -मेहो करते मोर [ बालगीत ]

 407/2024

         


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मेहो  -     मेहो     करते     मोर।

गाँव     गली    में    होता  भोर।।


छिपे     ओट    में    करते   नाच।

छत पर जब   तब भरे    कुलाँच।।

अमराई      में      करते      शोर।

मेहो -   मेहो       करते      मोर।।


नीले      हरे     बैंजनी      पंख।

चमकीले   भी   बड़े     असंख।।

कम्पन  करती      सुंदर    कोर।

मेहो -    मेहो     करते      मोर।।


'शुभम्'  शारदा  माँ    का  वाहन।

उधर सर्प   का    जानी   दुश्मन।।

नाचे तो    मत    जा    उस  ओर।

मेहो -    मेहो      करते       मोर।।


शुभमस्तु !


15. 09.2024◆1.15प०मा०

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