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©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
कविता करना मुझे सिखाओ।
कवि बनना मुझको बतलाओ।।
कविता सभी नहीं कर पाते।
छंदबद्ध कर नहीं सजाते।।
मुझको वे सब नियम बताओ।
कविता करना मुझे सिखाओ।।
भावों को साकार करेगा।
बेटे कवि भी वही बनेगा।।
मुझे भाव साकार कराओ।
कविता करना मुझे सिखाओ।।
कुम्भकार ज्यों श्रम करता है।
घड़ा मृत्तिका का बनता है।।
बुद्धि-चाक पर शब्द घुमाओ।
कविता करना मुझे सिखाओ।।
छंद शब्द रस ज्ञान जरूरी।
सभी जरूरत हों जब पूरी।।
शुद्ध तुंकान्त वहाँ पर लाओ।
कविता करना मुझे सिखाओ।।
'शुभम्' करें अभ्यास निरन्तर।
तब कविता के फूटेंगे स्वर।।
स्वर - साधन का मंत्र जताओ।
कविता करना मुझे सिखाओ।।
शुभमस्तु !
03.09.2024●1.00प०मा०
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