सोमवार, 30 सितंबर 2024

राम -नाम की माला जपना [सजल]

 448/2024


समांत     :अना

पदांत      : अपदांत

मात्राभार  : 16.

मात्रा पतन: शून्य


पाने   को    कुछ   पड़ता   तपना।

सदा     देखना    ऊँचा     सपना।।


लगे    हुए    सीधा     करने     में।

दुनिया   वाले      उल्लू    अपना।।


दृष्टि  अन्य  के   धन   पर   उनकी।

राम -  नाम    की    माला  जपना।।


पूछ   नहीं     निर्धन    की    कोई।

धनिकों  के ही   सम्मुख  झुकना।।


मेरा  -    मेरा       करते       बीता।

नहीं  जानता   पल   भर  रुकना।।


बिना   काम   के     नाम    चाहते।

समाचार      सुर्खी   में     छपना।।


जननी -  जनक  न  पूज्य  मानते।

'शुभम्'   न  चाहें    सेवा   करना।।


शुभमस्तु !

29.09.2024●10.30 आ०मा०

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