बुधवार, 11 सितंबर 2024

मेंड़-मेंड़ पर काँस [ गीत ]

 394/2024

            


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


मेंड़ -मेंड़ पर

काँस झूमते

बुढ़िया जैसे बाल।


लगता बुढ़ा 

गई है वर्षा

बादल भूरे पीत।

शरद आगमन

होने वाला

पवन हुआ है शीत।।


पेड़ नाचते

लहर - लहर कर

फसल दे रहीं ताल।


रहता समय 

नहीं सम प्रति दिन

होता है  बदलाव।

सबके ही दिन

पल -पल बदलें

नहीं लगे सुर्खाव।।


फिर क्यों रे मन!

 करता मन में

तू ये मूढ़ मलाल।


बहता था जल

 जिन दगरों में

उनमें उड़ती धूल।

बहु नव अंकुर

उगे फसल के

हरियल बड़े समूल।।


'शुभम्' सूर्य

जाता अस्ताचल

बदल गया सब हाल।


शुभमस्तु !


10.09.2024●5.30 आ०मा

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