बुधवार, 18 सितंबर 2024

नया सवेरा [ बालगीत ]

 415/2024

                


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बीती   रात  मिटा    तम -  घेरा।

हुआ   उजाला     नया   सवेरा।।


बिस्तर   छोड़   चलो  उठ  जाएँ।

मात-पिता  को  शीश   झुकाएँ।।

प्रभु  का  नाम    जपें     बहुतेरा।

हुआ   उजाला    नया     सवेरा।।


लाल  रंग  का  सूरज     चमका।

पाटल  फूल  बाग  में    गमका।

मुर्गा  करे    गली     में      फेरा।

हुआ     उजाला     नया  सवेरा।।


चीं चीं -  चीं चीं    चिड़ियाँ बोलीं।

कलियों ने   निज  आँखें  खोलीं।।

कोकिल    कुहके     करती  रेरा।

हुआ     उजाला   नया     सवेरा।।


'शुभम्'  शीघ्र   जा  खूब    नहाएँ।

कर    तैयारी      शाला       जाएँ।।

फेरें  पाठ    नहीं     यदि      फेरा।

हुआ  उजाला      नया     सवेरा।।


शुभमस्तु !

15.09.2024◆8.30 प०मा०

                    ★★★

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