गुरुवार, 5 सितंबर 2024

साझेदारी [बालगीत]

 381/2024

                

©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


साझेदारी       बहुत      बुरी    है।

मीठी    पैनी     एक    छुरी    है।।


चौराहे     पर       घड़ा     फूटता।

आता   - जाता   तुम्हें     लूटता।।

गाड़ी  की  ज्यों  भग्न    धुरी   है।

साझेदारी    बहुत      बुरी     है।।


थोड़ा    समझदार    जो    होता।

बीज  नहीं   साझे    में     बोता।।

हलवा  के  सँग   नहीं     पुरी   है।

साझेदारी      बहुत     बुरी     है।।


रातों  रात    बनें    कवि    सारे।

साझे   में      छपते      बेचारे।।

धन -  संग्रह   ही   एक   धुरी है।

साझेदारी   बहुत      बुरी     है।।


कम  पूँजी    में   साझा   करना।

बिगड़े  बात  तभी   लड़   मरना।।

भानुमती  की  भीड़    जुड़ी    है।

साझेदारी     बहुत     बुरी     है।।


साझे   का   जो    चालक  होता।

खाता  नहीं   नदी     में    गोता।।

मन में उसके    लगन -  फुरी  है।

साझेदारी     बहुत      बुरी     है।।


शुभमस्तु !


03.09.2024●2.00प०मा०

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