सोमवार, 2 सितंबर 2024

रक्षाबंधन का अवदान [सजल]

 376/2024

        


समान्त     : आन

पदांत       : अपदांत

मात्राभार   : 16,15

मात्रा पतन : शून्य


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


विश्व   पटल   पर   देश    महान।

मेरा          प्यारा       हिंदुस्तान।।


व्रत  त्योहार  पर्व   की    महिमा।

होता   रहता     नित    गुणगान।।


सावन  में  भागिनी    भ्राता   का।

रक्षाबंधन         है       अवदान।।


झूले   विदा       गईं      अमराई।

मोबाइल  ही     अब    पहचान।।


वीरबहूटी     एक    न    दिखती।

सुनते   बस   मेढक  की    तान।।


भागिनी  तिलक  करें  भैया  का।

रक्षा  वचन  भ्रात     का   जान।।


राखी  -  सूत्र  बाँधकर  कर   में।

खिला  मिठाई     लें      संज्ञान।।


'शुभम् ' पाँव  छूते  भागिनी   के।

सुहृद    शुभंकर सुखद  विहान।।


शुभमस्तु !


02.09.2024●5.45आ०मा०

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