402/2024
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
अमराई में कोयल बोले।
कान - कान में मधुरस घोले।।
आता जब ऋतुओं का राजा।
महकें बौर आम पर ताजा।।
सघन पल्लवों में पिक डोले।
अमराई में कोयल बोले।।
कुहू - कुहू की बोली प्यारी।
वेला ब्रह्म लगे मन हारी।।
बंद कान के परदे खोले।।
अमराई में कोयल बोले।।
'शुभम्' सँदेशा हमको देती।
मधु भाषा है नेती - नेती।।
बोलो हर - हर बम - बम भोले।
अमराई में कोयल बोले।।
शुभमस्तु !
15.09.2024◆9.30आ०मा०
★★★
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