रविवार, 29 जुलाई 2018

ऐसी भी नारी!???

ये औरतें वही हैं , जिनके कारण सास ससुर वृद्घ आश्रम भेजे जाते हैं। ये ही वे देवियाँ हैं , जिनको पूजा जाता है और उनका ये राक्षसी रूप देख और सुनकर मन घृणा से भर - भर जाता है। पल में माशा और पल में तोला की कहावत का साक्षात रूप हैं ये। पति की माँ इनकी कुछ नही ,और अपनी मां माँ है।  यह भी आज की नारी का वास्तविक स्वरूप है।अपनी विलासिता में इनकी सास खटाई है, और अपनी  माँ घेवर की मिठाई है। वाह ! री
नारी। क्या इसीलिए 'प्रसाद' जी ने लिखा था:-

नारी   तुम केवल श्रद्धा हो
विश्वास रजत नग पगतल में,
पीयूष स्रोत -सी बहा करो,
जीवन के सुंदर समतल में।

*ऐसी नारियों के लिए तो लिखना चाहिए:*

नारी   तुम    चंडी चुड़ैल हो
कलयुग     के   घर  - घर  में,
सासुजी   को   भी   माँ मानों
मत नरक बनाओ  घर-घर में।

पति   की  माँ     दुश्मन  तेरी
तेरी   माँ   ही    केवल माँ है,
क्या तेरी  सास   भी ऐसी थी
लेती  तू   उसका   बदला  है?

धिक्कार     तुझे     तू  नारी है
इसलिए  तू नर पर भी भारी है,
सासु   से इतनी   जलन   भरी
तव    नारी -जीवन   ख्वारी है।

वृद्धाश्रम     की तू  जड़ सारी
तेरे   ही   कारण    बने   हुए,
पति का जीवन भी नर्क किया
तेरेे     तेवर   नित    तने हुए।

तू उस    पति की मजबूरी है
जो बेबस  रहता    साथ तेरे,
तू उसके   बच्चों की   जननी
जिसके   हाथों    में हाथ तेरे।

तू जहर  भारी  गोली कड़वी
लेना  पति   की   मजबूरी है,
उसके दिल से   तो पूंछ जरा
जिससे  कितनी  मज़बूरी है।

क्या  बीतेगी  उसके दिल पर
जिसकी माँ का अपमान करे,
वह पूरा   जोरू    का गुलाम
इस  बेइज्जत का  मान करे।

वह     देवी है     वह    पूजनीय
जो सासु को  समझे अपनी माँ,
निज ससुर  को पिता मानती जो
घर में न कभी  उसके कां -कां।

धन्य शुभम    वह घर होगा
जिस    घर  सन्नारी  वास करे,
वह घर ही  होगा    स्वर्गधाम ,
शुभ लाभ सहित उल्लास भरे।

💐शुभमस्तु!

✍🏼लेखक ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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