मंगलवार, 31 जुलाई 2018

सरकार बचाए रखना

पहले  चोरी   होती      थीं  कारें
अब   चोरी    होतीं   हैं  सरकारें
सोते ही मत    रह     जाना  तुम
निगरानी    पूरी     रखना    तुम ।

मत  रहना    भरोसे    वोटर   के
ई वी एम       या       बैलट    के
ये  कलयुग   है   कलि  चालों का
मानव    की  क्रूर   कुचालों  का ।

परिणाम  -   भरोसे   मत  सोना
कुर्सी   खोए  फिर    मत    रोना
यहाँ   कोई    दूध  से  धुला  नहीं
कोई   सत्य -तुला  पर तुला नहीं।

जिसकी   लाठी  वही  भैंस  रखे
कमजोर  की   लाठी   नहीं दिखे
चित भी    मेरी    पट  भी    मेरी
हट  पीछे      कुर्सी      है   मेरी।

लोकतंत्र    बस       कहने    को
इस  देश   में   केवल   रहने  को
बाकी   सब क्या    है क्या  कहें
मनमानी    को    जनतंत्र   कहें।

ये  लोकतंत्र     या   खेल   बना
झूठा    डकैत ही  अधिक  तना
पूछे    न    प्रबुद्धों   को    कोई
मध्यम     जनता  चुपचुप  रोई।

भेड़तंत्र         का      चमत्कार
जो  जीता    उसकी  हुई    हार
कानून की शरण "शुभम" सत्यं
लोकतंत्र   की     नित   हत्यम।

💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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