सुना है कि
अभिनेता अभिनेत्रियां
वर्ष में कई -कई बार
जन्मदिन मनाते हैं,
जब -जब होती है नई दोस्ती
किसी मनपसंद से तो
उसे जन्म दिन पार्टी के बहाने
घर या होटल में बुलाते हैं,
वहाँ यद्यपि दो ही सही
पर जन्मदिन का
केक तो काटते बाँटते हैं,
न सही कोई भब्भड़
पर सजा रहता है
कक्ष औऱ बिस्तर ,
एकांत भी शान्ति भी
प्रगाढ़ता की कांति भी,
न कोई व्यवधान
सब कुछ आसान,
परिचय की गहनता
अंतरंग सघनता,
नए युग की नई सभ्यता,
जीवन की भव्यता सुरम्यता,
मैं न नेता
नहीं अभनेता ,
एक अदना -सा सामान्य जन
अपनी बात कहने का हुआ है
मेरा मन,
मेरी भी एक नहीं
दो नहीं
तीन -तीन जन्म तिथियां हैं,
आप सोचेंगे औऱ कहेंगे
तीन -तीन कैसे ?
जब उनकी हर महीने
हो सकती हैं दो -चार,
तो मैं क्यों रहूँ लाचार,
एक चौदह जुलाई
जो लिखत -पढ़त में है,
दूसरी अट्ठाईस दिसम्बर
जो असल में है,
औऱ तीसरी पौषि अमावस्या की
आधी रात है,
जिसके विषय में मेरी
अम्मा ने बताई सच बात है,
28 दिसम्बर को पौषि
अमावस्या नहीं होती ,
और हर पौषि अमावस्या
को 28 दिसम्बर नहीं होता,
पर मैं तो तीनों दिन
अपना जन्म दिन मनाता नहीं,
मान लेता हूं ,
सही तो सही है
मैं पत्नी बच्चों के संग
बिना कोई केक काटे
जन्मदिन का दिया
जला लेता हूँ,
और बच्चों और परिवार
की खुशियों में हाथ
बंटा लेता हूँ।
दिए बुझाना मैंने नहीं
सीखा है,
मेरे पूज्य माँ पिता का
दिया ये सलीका है।।
💐शुभमस्तु!
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम'
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