दल दल की कहानी है
किसको क्या बतानी है।।
हाथों में लगा कीचड़
दिल के भी वही भीतर
बाहर से श्वेत धारण
जन -जन को जतानी है।
दल दल की कहानी है।।
चुपचाप न रहना है
कुछ कहते रहना है
सच से जो दूर कोसों
यही मन में ठानी है।
दल दल की कहानी है।।
बांटो और राज करो
चाँदी के मुकुट धरो
कथनी करनी न मिले
ये भी तो बतानी है।
दल दल की कहानी है।।
नारी और नारों का
मधुयुक्त प्रहारों का
बहका -बहका कर लूटो
मूर्ख जनता बनानी है।
दल दल की कहानी है।।
पढें -लिखे न कोई भी
जनता रहे ये सोई ही
बस बिगुल बजे ऊँचा
सुर्खियाँ दिखानी हैं ।
दल दल की कहानी है।।
आँसू भी पौंछने हैं
सूजे भी घोंपने हैं
वाणी में शहद रिसना
सियासत की ये कहानी है।
दल दल की कहानी है।।
पद - सत्ता रहे हाथों
जातियों में देश बांटो
ऊंच - नीच का भेद बढ़ा
तभी वोट बनानी है।
दल दल की कहानी है।।
घोंघे भी मीन मेढक
खुशबू से बदन को ढक
संलिप्त पंक पुष्पित
नीला हरा धानी है।
दल दल की कहानी है।।
ऊपरी दिखावा हो
रैली का बुलावा हो
भाड़े से भीड़ भरकर
बस ट्रेन चलानी है।
दल दल की कहानी है।।
कोई न सुपर इतना
नेता हो अपढ़ कितना !
बढ़े पूँछ मूर्खजन से
ये नीति पुरानी है।
दल दल की कहानी है।।
आना है पीछे आओ
माला भी साथ लाओ
"शुभम" सम्मान हमारा है
ये भी समझानी है।
दल दल की कहानी है।।
💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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