रविवार, 22 जुलाई 2018

हाथी पाला , बिना निबाला

  अच्छा !अच्छा!! आपने भी हाथी पाल लिया !बहुत अच्छा किया। तो आप स्मार्ट हो गए। लेकिन मित्रों ! ऐसे कोई स्मार्ट नहीं हो जाता। स्मार्ट फोन रखने से ही कोई स्मार्ट हो जाए तो  'ऐरे - गेरे नत्त्थू खेरे '  सभी स्मार्ट हो जायेंगे।स्मार्टफोन खरीदने से कोई स्मार्ट नहीं हो जाता , आपकी बुद्धि , विवेक , क्रियाएँ,  दिनचर्या , समस्त गतिविधयां भी स्मार्ट होनी चाहिए। ये तो ठीक वैसे ही हुआ :-
हाथी    पाला बिना निबाला ,
राजमहल पर पड़ा हो ताला।
   हाथी को तो पाल लिया , पर उसके भोजन -पानी का कोई भी इंतजाम नहीं। आपके स्मार्ट फ़ोन में अनेक संभावनाएं हैं , जिनका इस्तेमाल आपको  समय - समय पर सीखते रहना चाहिए। उदाहरण के लिए प्रायः सभी के फोन में व्हाट्सएप और फेसबुक के एप चालू रहते हैं, लेकिन प्रायः लोग अंधे , बहरे , गूँगे की तरह  बने रहते हैं। न कुछ भेज सकते हैं और न किसी के संन्देश पर अपनी निगेटिव या पॉजिटिव प्रतिक्रिया ही दे सकते हैं। ऐसे सभी हाथी पालक गूँगे , बहरे और अंधों की श्रेणी में ही आते हैं। भेजते  भी हैं तो बस कट , कॉपी ,पेस्ट करके कुछ रेडीमेड मसाले (GOOD MORNING ,GOOD NIGHT, सुप्रभात, शुभरात्रि के संन्देश ,कुछ वीडियो ,कुछ भड़काऊ बयान या इमेजेज, कुछ आग लगाऊ वीडियोज़, किसी सियासी दल की चमचेगीरी की तस्वीरें, कोई बीजेपी का अंधभक्त तो कोई कांग्रेस का पिछलग्गू) , अपना कहीं कोऊ विवेक नहीं , अपनी कहीं कोई पहचान नहीं , अपनी कोई सोचने -समझने की गतिविधि नहीं। इन सबसे शून्य है यदि हम लोगों का हाल ,तो यही कहना पड़ेगा हाथी पाला , बिना निबाला। मन और बुद्धि से स्मार्ट बनने का युग है । अधिक पैसे से आप स्मार्ट नही  बन सकते।केवल मनोरंजन का साधन मानकर भी नहीं जिया जा सकता। इसलिए विवेक का आपने पालित हाथी का, अपने स्मार्टफोन का, अपने एप्स का सही इस्तेमाल करना आना ही चाहिए।
   कुछ लोगों की मेरी बात में मिर्चें लग सकती हैं , लेकिन मिर्चें सर्दी या गर्मी में नहीं लगतीं , मिर्चें तभी लगती हैं जब कोई सही बात आपकी अस्मिता को चपत  मारती है। अन्यथा अपने गरेबां में तनिक झाँककर देख लीजिए कि क्या आप अपने साथ अन्याय कर रहे हैं।लकीर के फकीर बन कर केवल शेयरबाजी में ही मत मशगूल रहिए, कुछ अपनी भी पहचान बनाइये। माना कि हर व्यक्ति कवि , लेखक , समीक्षक, विचारक,  विश्लेषक नहीं हो सकता , लेकिन आप इससे भी बढ़कर बहुत कुछ हो सकतें हैं। हाथी पाला है ,तो उसे निबाला भी दीजिए। एक बुद्धिमान मानव का मानसिक पोषक तत्व  आपके विचार और भाव ही तो हैं। दूसरों के पीछे तो भेड़ें भी चल
लेती हैं , फिर आपमें और भेड़ों में भेद क्या  रहा?
   इसलिए  इस  हाथी  को घुमाइए ,फिराइये , दुनिया की सैर कराइये और फिर देखिए ये हाथी आपको बैठे बिठाए कैसे स्मार्ट बना देता है।करेला कड़वा होता है। सत्य तो उससे ज्यादा ही कड़वा है।

शुभमस्तु
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"

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