सत्तासीन व्यक्ति सत्ता का मालिक है। सत्ता एक लाठी है , जिसका 'सत 'से अधिक सम्बन्ध 'सताने ' से है। जो सता कर कुर्सी रूपी भैंस को अपने साथ ले जाकर अपने खूँटे से बांध देता है। भैंस काली होती है, किन्तु वह गाढ़ा और सफेद 'दूध' देती है।दूध पौष्टिक होता है। भैंस को सताने से गाढ़ा दूध निकलता है, दूध को सताने से दही, और दही को सताने से मक्खन और मक्खन को सताने से सारतत्त्व घृत निकलता है, जिस घृत को पाने की होड़ हर भैंस मालिक को होती है और वह उससे प्राप्त भी करता है , अन्यथा वह भैंस पालता ही क्यों है ! दूध पीने और घृत खाने के लिए ही न!
यही सब आज की सियासत है। जहाँ केवल भैंस प्राप्त होनी चाहिए, चाहे जैसे भी हो। साम, दाम ,दंड और भेद। इन 'चतुर 'नीतियों से कुर्सी रूपी काली भैंस को हथियाया जाता है। चित भी मेरी पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का।क्या यही न्याय है?ऊपर से नीचे तक यही हो रहा है। बड़े बड़े लाठीधारी यही कर रहे हैं। तो छोटे लाठीधारी क्यों न करें , क्योंकि उन्हें भी तो काली भैंस का दूध घृत पीना खाना है। सबका एक ही लक्ष्य ,एक ही उद्देश्य। भैंस हथियाना और दूध पीना।सत्ता से सत्य तो कब का विदा हो चुका है। केवल और केवल सताना ही मुख्य आधार है। वही अंतिम अस्त्र भी है। इसलिए कहने वालों ने सही कहा है:-
जिसके हाथ में होगी लाठी
भैंस वही ले जाएगा।
सता न पाएगा जो जन को
खड़ा खड़ा तरसायेगा।
भेड़तंत्र तंत्र में भेड़ों पर
लाठी की क्या रही जरूरत।
एक बोल में भेड़ बेचारी को
लिए कूप में जायेगा।
सत्य की सदा जय हो!
अंधकार का नाश हो!!
💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
यही सब आज की सियासत है। जहाँ केवल भैंस प्राप्त होनी चाहिए, चाहे जैसे भी हो। साम, दाम ,दंड और भेद। इन 'चतुर 'नीतियों से कुर्सी रूपी काली भैंस को हथियाया जाता है। चित भी मेरी पट भी मेरी, अंटा मेरे बाप का।क्या यही न्याय है?ऊपर से नीचे तक यही हो रहा है। बड़े बड़े लाठीधारी यही कर रहे हैं। तो छोटे लाठीधारी क्यों न करें , क्योंकि उन्हें भी तो काली भैंस का दूध घृत पीना खाना है। सबका एक ही लक्ष्य ,एक ही उद्देश्य। भैंस हथियाना और दूध पीना।सत्ता से सत्य तो कब का विदा हो चुका है। केवल और केवल सताना ही मुख्य आधार है। वही अंतिम अस्त्र भी है। इसलिए कहने वालों ने सही कहा है:-
जिसके हाथ में होगी लाठी
भैंस वही ले जाएगा।
सता न पाएगा जो जन को
खड़ा खड़ा तरसायेगा।
भेड़तंत्र तंत्र में भेड़ों पर
लाठी की क्या रही जरूरत।
एक बोल में भेड़ बेचारी को
लिए कूप में जायेगा।
सत्य की सदा जय हो!
अंधकार का नाश हो!!
💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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