नेता कब पैदा होता है,
पत्थर पिस मैदा होता है,
जब सौ झूठे ऊपर जाते हैं
तब एक ही पैदा होता है।
जिस झूठे का सब यकीं करें
सच से भी ज्यादा सही करें
जो मीठा ज़हर पिलाये नित
वह पक्का नेता होता है।
कोरे आश्वासन जो देता है
धी सम्मोहित कर धो देता है
कहकर फिर खबर नहीं लेता
वह अच्छा नेता होता है।
जो खुद को खुदा मानता है,
जनता से जुदा मानता है,
गदहे को भी जो कहे बाप
वह सबका नेता होता है।
उम्मीद करे सब चरण छुएँ,
चाहे सिर में उसके लाख जुएँ,
बगबगे वसन नित देह धरे
जन-जन का नेता होता है।
जहाँ शिक्षा का कोई मूल्य नहीं
नारों में जो मशगूल सही ,
उपदेश सबक देता सबको
वह अपना नेता होता है।
चपरासी भी हो पढ़ा-लिखा
नेता का चाहे शून्य सफा
वह पढ़कर आया ऊपर से
वो देश का नेता होता है।
आचरण चरित की बात नहीं,
सौ खून उसे हैं माफ सही
बस नियम दूसरों की ख़ातिर
वह सच्चा नेता होता है।
आई ए एस पर राज करे
खुद बी.ए .फेल पर ताज धरे
कानून हाथ में लिए सदा
शुभचिन्तक नेता होता है।
अपने हित बनते नियम अलग
नौकरशाही को नियम अलग
कि चाटता मलाई ऊपर की
भारत का नेता होता है।
गुण्डारक्षक गुण्डाधिश्वर
गुंडापालक गुण्डालय घर
सन्तापक संतों का नितप्रति
"शुभं" प्रिय नेता होता है।
शुभमस्तु।
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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