इस भारत देश को आज़ाद हुए सात दशक से भी अधिक व्यतीत हो चुके हैं, किन्तु नेताओं की शैक्षिक योग्यता का निर्धारण आज तक नहीं हो सका है। एक चपरासी से लेकर क्लर्क , शिक्षक , डॉक्टर , इंजीनियर , अधिवक्ता, जज , डी एम , एस पी, सबके लिए योग्यता के मानक निर्धारित हैं , किन्तु इस देश में विधायक , सांसद , मंत्री आदि पदों पर जाने के लिए न कोई आचार संहिता है और नहीं कोई शेक्षिक योग्यता! इस बिंदु पर यदा कदा चर्चा तो बहुत होती है , लेकिन यदि कोई इस बात को उठाता है ,तो उसकी आवाज़ नक्कारखाने में तूती की आवाज़ ही बनकर रह जाती है।
जिस पद और कार्य के लिए कोई योग्यता का मानक नहीं है, उसे देश में सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है ,और विडम्बना तो तब है कि एक अल्प शिक्षित मंत्री या न्यूनतम शिक्षित अथवा केवल साक्षर मंत्री आई ए एस ,आई पी एस या पी सी एस पर हुकुम चलाता है। शासन करता हैं। उनसे दुर्व्यवहार भी किया जाता है। इससे अधिक अंधेरगर्दी और क्या होगी। देश की दुर्दशा क्यों न हो? देश उच्चतम योग्यता के धारक जो सही मायने में सरकार चलाते हैं और प्रशासन का दायित्व संभालते हैं , उनकी इतनी उपेक्षा, दुर्दशा और अपमान क्यों है ? ये देखकर बहुत ही कष्ट होता है , कि देश के लोग इस वेदना का अहसास कब करेंगे।
हमारी माननीय न्यायपालिका और चुनाव आयोग भी इस बिंदु पर क्यों मौन रहता है,। वैसे सामान्यतः हमारे सर्वोच्च न्यायालय के। माननीय जज महोदय देश के अनेक मामलों में हस्तक्षेप करके सही दिशा देते हैं किंतु राजनेताओं , प्रधानों, नगर पालिका के अध्यक्षों आदि की शैक्षिक योग्यता के मुद्दे पर मौन क्यों रहते हैं ,उन्हें इस बिंदु पर गम्भीरता पूर्वक विचार करके इन सबकी योग्यता का निर्धारण सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा चोर , डकैत ,हत्यारे, सजायाफ्ता, बलात्कारी , पर धनहन्ता , लुटेरे , राहजन , गुंडे , आवारा आदि सभी वोट के बल पर विधान सभा और लोकसभा में जायेंगे और इसी प्रकार लोकतंत्र कलंकित होता रहेगा। अपनी विलासिता की पूर्ति के लिए ये मानवता को कलंकित करते रहेंगे। दींन हीनों पर अत्याचार होता रहेगा। नैतिकता विहीन राजनीति के पुरोधा मलाई खायेंगे और अधिकारी गण उनकी डांट। इस बिंदु पर देश की प्रबुद्ध जनता कोई अपनी आवाज़ ऊंची करनी होगी, अन्यथा देश का जो पतन हो रहा है ,उसका ग्राफ और भी ऊंचा हो जाएगा।
अनुभव शून्य , निरक्षर या केवल साक्षर नेताओं से देश का उद्धार नहीं होने वाला । नेता चाहे जिस किसी भी दल का हो , उसकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता अनिवार्यतः होनी ही चाहिए। अन्यथा निम्न मध्यवर्गीय जनता जनार्दन का शोषण होता ही रहेगा। नेता चरित्रवान होना चाहिए। यह चरित्रवत्ता उसकी नैतिकता , पिछले इतिहास , आर्थिक भृष्टाचार आदि विविध पहलुओं के आधार पर होना चाहिए।
नेताओं की योग्यता नही,
तो देश का उद्धार नहीं,
यदि नेताओं की योग्यता रही,
तो देश का उद्धार सही।।
शुभमस्तु।
✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप "शुभं"
जिस पद और कार्य के लिए कोई योग्यता का मानक नहीं है, उसे देश में सर्वाधिक महत्त्व दिया जाता है ,और विडम्बना तो तब है कि एक अल्प शिक्षित मंत्री या न्यूनतम शिक्षित अथवा केवल साक्षर मंत्री आई ए एस ,आई पी एस या पी सी एस पर हुकुम चलाता है। शासन करता हैं। उनसे दुर्व्यवहार भी किया जाता है। इससे अधिक अंधेरगर्दी और क्या होगी। देश की दुर्दशा क्यों न हो? देश उच्चतम योग्यता के धारक जो सही मायने में सरकार चलाते हैं और प्रशासन का दायित्व संभालते हैं , उनकी इतनी उपेक्षा, दुर्दशा और अपमान क्यों है ? ये देखकर बहुत ही कष्ट होता है , कि देश के लोग इस वेदना का अहसास कब करेंगे।
हमारी माननीय न्यायपालिका और चुनाव आयोग भी इस बिंदु पर क्यों मौन रहता है,। वैसे सामान्यतः हमारे सर्वोच्च न्यायालय के। माननीय जज महोदय देश के अनेक मामलों में हस्तक्षेप करके सही दिशा देते हैं किंतु राजनेताओं , प्रधानों, नगर पालिका के अध्यक्षों आदि की शैक्षिक योग्यता के मुद्दे पर मौन क्यों रहते हैं ,उन्हें इस बिंदु पर गम्भीरता पूर्वक विचार करके इन सबकी योग्यता का निर्धारण सुनिश्चित करना चाहिए अन्यथा चोर , डकैत ,हत्यारे, सजायाफ्ता, बलात्कारी , पर धनहन्ता , लुटेरे , राहजन , गुंडे , आवारा आदि सभी वोट के बल पर विधान सभा और लोकसभा में जायेंगे और इसी प्रकार लोकतंत्र कलंकित होता रहेगा। अपनी विलासिता की पूर्ति के लिए ये मानवता को कलंकित करते रहेंगे। दींन हीनों पर अत्याचार होता रहेगा। नैतिकता विहीन राजनीति के पुरोधा मलाई खायेंगे और अधिकारी गण उनकी डांट। इस बिंदु पर देश की प्रबुद्ध जनता कोई अपनी आवाज़ ऊंची करनी होगी, अन्यथा देश का जो पतन हो रहा है ,उसका ग्राफ और भी ऊंचा हो जाएगा।
अनुभव शून्य , निरक्षर या केवल साक्षर नेताओं से देश का उद्धार नहीं होने वाला । नेता चाहे जिस किसी भी दल का हो , उसकी न्यूनतम शैक्षिक योग्यता अनिवार्यतः होनी ही चाहिए। अन्यथा निम्न मध्यवर्गीय जनता जनार्दन का शोषण होता ही रहेगा। नेता चरित्रवान होना चाहिए। यह चरित्रवत्ता उसकी नैतिकता , पिछले इतिहास , आर्थिक भृष्टाचार आदि विविध पहलुओं के आधार पर होना चाहिए।
नेताओं की योग्यता नही,
तो देश का उद्धार नहीं,
यदि नेताओं की योग्यता रही,
तो देश का उद्धार सही।।
शुभमस्तु।
✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप "शुभं"
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