शुक्रवार, 20 जुलाई 2018

खोखले आदर्श

गली -गली जातिवाद!
मोहल्ले -मोहल्ले जाति वाद!!
कस्बे -कस्बा जाति वाद!!!
गांव -गांव जातिवाद!
राजनीति में जातिवाद!!
(जातिवाद का प्रेरक, जातिवाद का विकासक, जातिवाद का संपोषक )
धर्म में जातिवाद !
नौकरियों में जातिवाद !!
शिक्षण संस्था में जातिवाद!!!
औऱ अब
 व्हाट्सएप्प कर ग्रुपों में 
महजातिवाद!!!
धन्य मेरे देश के खोखले आदर्शवाद!!

खोमचे में समाजवाद!
रेल -बस में मानवतावाद!!
हॉस्पिटल में  खून लेने देने में 
अति मानवतावाद !!
(अति स्वार्थवाद भी कह सकते हैं)
स्टेशन , बस स्टैंड, होटल ,रेस्टोरेंट
में समतावाद!!
न जातिगत आरक्षण ,
न जातिगत  कुर्सी हरण,

वाह रे मेरे देश के खोखले 
आदर्शों का मरण,
दिखावटी आदर्शों की शरण !
न दुर्योधन न कर्ण,
यही है क्या मेरे महान भारत देश 
का संवरण?
पत्थरों की पूजा 
और इंसान का मरण,
ढोंग केवल सामाजिक,
सियासी और धार्मिक  मरण,
ढोल में पोल का
अच्छा उदाहरण।

 शुभमस्तु।
✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"

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