गली -गली जातिवाद!
मोहल्ले -मोहल्ले जाति वाद!!
कस्बे -कस्बा जाति वाद!!!
गांव -गांव जातिवाद!
राजनीति में जातिवाद!!
(जातिवाद का प्रेरक, जातिवाद का विकासक, जातिवाद का संपोषक )
धर्म में जातिवाद !
नौकरियों में जातिवाद !!
शिक्षण संस्था में जातिवाद!!!
औऱ अब
व्हाट्सएप्प कर ग्रुपों में
महजातिवाद!!!
धन्य मेरे देश के खोखले आदर्शवाद!!
खोमचे में समाजवाद!
रेल -बस में मानवतावाद!!
हॉस्पिटल में खून लेने देने में
अति मानवतावाद !!
(अति स्वार्थवाद भी कह सकते हैं)
स्टेशन , बस स्टैंड, होटल ,रेस्टोरेंट
में समतावाद!!
न जातिगत आरक्षण ,
न जातिगत कुर्सी हरण,
वाह रे मेरे देश के खोखले
आदर्शों का मरण,
दिखावटी आदर्शों की शरण !
न दुर्योधन न कर्ण,
यही है क्या मेरे महान भारत देश
का संवरण?
पत्थरों की पूजा
और इंसान का मरण,
ढोंग केवल सामाजिक,
सियासी और धार्मिक मरण,
ढोल में पोल का
अच्छा उदाहरण।
शुभमस्तु।
✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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