दूकानदारों से भी कहना
खरीदारों से भी कहना
भूलकर भी कभी भी
कारखानेदारों से न कहना।
बन्द हो गई जो पॉली,
बन्द हो जाएगी थैली,
असर सियासत पे पड़ेगा,
कारखानेदारों से न कहना!
क्यों रैली में भीड़ होगी!
सुनने में चिढ़ तो होगी,
मज़बूरी तुम्हारी ऐसी ,
कारखानेदारों से न कहना।
आख़िर वोट भी तो कीमती है,
उनका नोट भी तो कीमती है,
बन्द होकर भी चलती रहनी,
कारखानेदारों से न कहना।
मुद्दे भी बहुत ज़रूरी,
चाहे पूरी हो या अधूरी,
प्लानिंग ज़रूरी बहुती,
कारखानेदारों से न कहना।
पॉली को क्या रुलाना!
थिक को ही ठीक जाना,
बहन छोटी जा रही है,
कारखानेदारों से न कहना।
मति भिन्न हो रही है,
'थिन खिन्न हो रही है,
पर मज़बूरी ऐसी भीषण,
कारखानेदारों से न कहना।
ये ज्ञान विज्ञान का है,
जलवायु से जुड़ा है,
पॉली है ज़हर घातक,
कारखानेदारों से न कहना।
तिजारत भी चल रही है,
सियासत भी चल रही है,
कोई बिगड़े या तो सुधरे
कारखानेदारों से न कहना।
जब स्रोत ही खुला है ,
औऱ हाथ में तुला है,
नाली चले या नाला ,
कारखानेदारों से न कहना।
फिर सीधे या घुमाकर ,
पकड़े जो कान जाकर,
छोड़ने नहीं "शुभम" अब
कारखानेदारों से न कहना।।
💐शुभमस्तु!
✍🏼रचयिता©
डॉ. भगवत स्वरूप"शुभम"
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