एक गौरैया दम्पति ने
मेरे घर की लता-कुंज में
बनाया है अपना घोंसला
तिनका -तिनका जोड़कर,
हरे -हरे पत्तों के बीच
अपने प्रेम -जल से सींच
एक -एक तिनका जोड़ा
कुछ ही दिनों में
बन गया आरामगाह
गृहस्थी का बसेरा,
रखे गौरैया ने
दो छोटे -छोटे अंडे,
सिलेटी छींट से
सज्जित तिनकों के गद्दे,
कुछ ही दिनों में
नन्हे -नन्हे परविहीन बच्चे,
लगे चिचियाने
बहुत ही प्यारे सच्चे,
खोलकर अपनी नन्ही
लाल चोंचें,
माँगते खाने को
माँ से पिता से
बिना सोचे,
दौड़कर जाता चिरौटा
चिरैया भी,
लाकर चोंच में अपनी
बारी -बारी से
करते खिदमत
श्याम गौर लघु गौरैया की।
एक दोपहरी में
बुरी तरह चीखने सी
लगीं दोनों चिड़ियाँ,
अंदर से बाहर
दौड़कर देखा मैंने
घोंसले के पास से
दो बड़े बाज
निकल भागे,
घोंसले में छा गए सन्नाटे
गौरैया -दम्पति उदास
कोई भी नहीं आया पास
घोंसला शान्त
फ़टी हुई चोंच लिए
दम्पति उद्भ्रांत,
दस मिनट के बाद
बच्चे चहचहाए,
मानो मेरे प्राणों में
प्राण आए,
नर पास आया
मादा भी आ गई
बच्चों को देख
फूली न समाई,
तभी मैंने कुछ
रोटी के कण बिखेरे ,
चिड़ा और चिड़ी ने
कण उठाए
और तीनों बच्चों की
चोंचों में लगाये,
उन पांचों की खुशी से
मैं आल्हादित था,
मानो युगल की दुआओं
के मैं काबिल था।
उनकी खुशी
मेरी खुशी थी,
क्योंकि खगशावक खुश थे
और उनके मम्मी पापा भी।
💐शुभमस्तु!
©✍🏼डॉ. भगवत स्वरूप",शुभम"
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