'प्लास्टिक के युग में कपड़े का झोला?'
पॉलीथिन -पसंद पड़ौसी पत्नी से बोला।
पचास से ऊपर की तो चल ही जाएगी,
तुम्हें तो लटकाना होगा कपड़े का झोला।
ये पचास से ऊपर का झमेला क्या है?
जो हम ले जाएं संग कपड़े का झोला।
पॉलीथिन -मापक भी लेना पड़ जाए ना!
अगर नहीं ले गए कपड़े का झोला।
लोग क्या कहेंगे हाथ में जो देखेंगे,
सड़क या बाज़ार में कपड़े का झोला।
ऑफिस जब जाऊँगा छिपाकर रखना है,
कोई भी न देख ले कपड़े का झोला।
परचून फल सब्जी पॉलीथिन में मत लाना,
बाज़ार जाओ लटकाकर कपड़े का झोला।
कपड़े की दुकानों पर साड़ी शोरूम में,
ज़रूरत नहीं ले जाओ कपड़े का झोला।
टी वी फ्रिज़ कम्प्यूटर आते नहीं झोले में,
मत जाना लेकर तुम कपड़े का झोला।
उत्पादक भी रहना है उत्पादन भी होना है,
तुम्हारे लिए मगर वही कपड़े का झोला।
कायदे कानून सब वैसे ही बनने हैं,
शुभम तुम्हारे लिए है कपड़े का झोला।।
💐शुभमस्तु !
✍🏼रचयिता ©
डॉ. भगवत स्वरूप "शुभम"
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