078/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सीख गया जब
कविता कहना।
बचपन की वह बात पुरानी
गिनती पढ़ी पहाड़े
इसी बीच कब कविता आई
लिया हाथ भर आड़े
एकादश की उम्र बचपना
सीख गया जब कविता कहना।
इंजन का रवशामक बोले
कुक्कू की आवाज घनी
मेरी कविता थिरक उठी तब
ऐसे ही कुछ बात बनी
कलम और कागज पर आया
सीख गया जब कविता कहना।
साईकिल की जब हुई सवारी
मन में भाव बढ़े कुछ मेरे
उतर जेब से कागज निकला
गही लेखनी भाव उकेरे
बढ़ने लगा कारवाँ यों ही
सीख गया जब कविता कहना।
शुभमस्तु !
11.02.2025● 12.30 प०मा०
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