सोमवार, 10 फ़रवरी 2025

बड़े-बड़े वादे करते हैं [ नवगीत ]

 073/2025

       


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


बड़े - बड़े वादे करते हैं

निभा न पाते।


घुने चने-से

खन-खन करते

भीतर से निस्सार,

एक बार

दिखता है मुखड़ा

आवर्तन दुश्वार,

बातों से गागर भरते हैं

पिला न पाते।


कथनी पूरब

करनी पच्छिम

बजते केवल गाल,

यहाँ वहाँ पर

आग लगाते

सुलगा रखी मशाल,

मरने दो

जो मरता कोई

जिला न पाते।


हाथी एक सफेद

खड़ा है

हुंकारे  निज  तुंड,

कोकिल जैसी

मधुर बोलियाँ

भीतर काक भुशुंड,

मेल मिलन की

कोरी बातें

मिला न पाते।


शुभमस्तु !


10.02.2025●2.00प०मा०

                   ●●●

[2:38 pm, 10/2/2025] DR  BHAGWAT SWAROOP: 

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