शुक्रवार, 28 फ़रवरी 2025

भोले शंकर भाव के [कुंडलिया]

 127/2025

            


©शब्दकार

डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'


                         -1-

भोले    शंकर   भाव   के, भूखे  भुव  भगवान।

लिंग  रूप  में  पूज्य हैं,जग  के कृपा  निधान।।

जग  के  कृपा  निधान,भस्म निज देह  लगाते।

मृगछाला    के   वस्त्र,  पहनते   वही  बिछाते।।

'शुभम्'  जपें  शिव   नाम, ध्यान से हौले-हौले।

सेवा  करें  अकाम,  भले   अति शंकर  भोले।।


                          -2-

रहते  हैं  कैलाश  पर,  शिव  शंकर निज  धाम।

संग उमा  सहधर्मिणी, सुत  गणेश शुभ   नाम।।

सुत  गणेश  शुभ  नाम,  षडानन अग्रज  भ्राता।

नंदी  संग   अकाम,  गीत   जग जिनके   गाता।।

'शुभम्'  हिमाचल अंक, कष्ट हिम के सब सहते।

अवढरदानी  शंभु,  शैल    पर निशिदिन   रहते।।


                         -3-

रखते   हाथ  त्रिशूल  जो, शिव शंकर  भगवान।

नीलकंठ  हर   शंभु   हैं,   हर  नटराज   महान।।

हर   नटराज    महान,  भक्ष्य  है आक   धतूरा।

बेल   फलों   का    भोग,  लपेटे   गात   समूरा।।

'शुभम्'   कंठ   है   नील,  भस्म  से  पूरे   सजते।।

हर- हर   जपते   भक्त, कमंडल कर   में   रखते।।


                         -4-

अपने     भारत  देश   में,  आदि  देव  भगवान।

ईश्वर   शंभु   गिरीश  हैं, शंकर  कृपा  निधान।।

शंकर   कृपा  निधान,  त्र्यम्बक  जपता    कोई।

कहें    पिनाकी   रुद्र,  नयन  की कोर   भिगोई।।

'शुभम्'    शुभंकर   ईश, बनाया शंकर  तप  ने।

आक   भाँग  से  तुष्ट, त्रिलोचन शंकर   अपने।।


                         -5-

आई  है  तिथि फाल्गुनी, शिव तेरस  यह  जान।

सभी   शिवालय  में  बजें, घण्टे घन- घन   मान।।

घंटे    घन-घन     मान,   त्र्यम्बक की हो   पूजा।

शिव  शंकर-सा   कौन,   जगत में कोई    दूजा।।

'शुभम्'   करें   जल  दान,और  पूजा  मनभाई।

शिवजी   रहें   प्रसन्न,  पावनी  तिथि   है   आई।।

शुभमस्तु !


27.02.2025●10.00प०मा०

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