060/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
सौंप दिया
ये जीवन तन-मन
शिव भोले के नाम।
त्याग दिया
ये अग-जग सारा
तनिक नहीं है मोह,
अपना कौन
पराया जग में
नहीं किसी से द्रोह,
नहीं कामना
शेष देह की
मार दिया है काम।
अपनाया
जब से अघोर पथ
तजे देह के चीर,
डाल दिया
शिवजी के सँग में
बदल गई तकदीर,
मोह नहीं
हिय ममता कोई
शेष ईश का धाम।
भेद नहीं कुछ
खाद्य आदि का
शेष न रसना -स्वाद,
राख मली
तन पर मुर्दे की
जगत नहीं अब याद,
सब कुछ 'शुभम्'
शिवाय समर्पित
नाशे तन -मन चाम।
शुभमस्तु !
04.02.2025 ●6.00 आ०मा०
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