121/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
बेटा जो चाहे बन जाना
पर नेता मत बनना तुम।
पढ़ा-लिखा है डिग्रीधारी
इतने तो गुण हैं तुझमें
करे नौकरी या कुछ धंधा
भूखा नहीं मरे जग में
जनता को बातों से ठगकर
नहीं दबाना अपनी दुम।
मुफ्तखोर शातिर दिमाग ही
बदल-बदल कर अपने वेश
बन जाते ठग या नेताजी
लूट रहे जो अपना देश
नेता बनने से बेहतर है
पहने घुँघरू नच छुम-छुम ।
कर्णधार वे नहीं देश के
शिक्षित ही करते शासन
वोट खरीदें नोट बाँटकर
कभी तेल बाँटें राशन
बनकर खास आम रस चूसें
कनक कामिनी या कि हरम।
शुभमस्तु !
26.02.2025●7.30प०मा०
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