083/2025
©शब्दकार
डॉ.भगवत स्वरूप 'शुभम्'
माली बने कोई
चमन सारा बदलता।
डालियों को कर्तनी से
छांटता है
क्यारियों में बाग को वह
बाँटता है
ढँग अपना अलग जो भी
चमन सारा बदलता।
एक माली डालियों को
नोंचता है
किंतु दूजा भावियों को
सोचता है
रस न दे छोई
चमन सारा बदलता।
कोई उगाता फूल सुंदर
शूल कोई
एक गाता रागिनी
करुणा भिगोई
प्यार के रँग में समोई
चमन सारा बदलता।
शुभमस्तु !
12.02.2025●3.30प०मा०
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